Saturday, November 1, 2025

Ravi Life Diary EP - 01

मेरा इतिहास

      मेरा जन्म भारत देश के एक बहुत ही पिछड़ा राज्य झारखंड में हुआ। मेरे दादाजी का नाम मुंशी हेंब्रम और मेरे पिताजी का नाम सुनीराम हेंब्रम है।

       मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं कि परमेश्वर ने मुझे इतने अच्छे परिवार में भेजा।

       अब तक आपने मेरे वेबसाइट में जो भी पढ़ा उसको ठीक से समझने के लिए आपको मेरा यह सभी एपिसोड पढ़ना होगा।

       28 सितंबर 2000 को रात 12:00 मेरा जन्म हुआ ऐसे मेरी मां बताती है।

       अब हेंब्रम परिवार में एक नया बालक का जन्म हो चुका था, यानी मेरा।

       मेरे पेरेंट्स ने मुझे जो बताया है, उसके हिसाब से मैं आपको मेरा जन्म से पहले का बैकग्राउंड बता देता हूं। 

काल्पनिक तस्वीर


 मेरे घर का माहौल मेरे जन्म के पहले

         मेरे दादाजी कभी भी किसी के साथ झगड़ा नहीं करते थे। वह एकदम शांत व्यक्ति था, क्योंकि मैं अपने दादाजी को झगड़ा करते हुए नहीं देखा। यह बात हो सकता है कि अगर शायद मेरे परिवार जब झगड़ा होता था, तब मैं घर में ना हो। 

        मेरे दादाजी का सपना था अमीर बनना, लेकिन पेशे से मेरे दादाजी किसान थे।

         मेरे दादाजी के बच्चों के बारे में जानते हैं, 1. बेटी, 2. मेरे पिताजी, 3. बेटी, 4. बेटी, 5. बेटा(चाचा), 6. बेटी।

       मुझे क्लियर नहीं पता कि मेरा चाचा कौन से नंबर के हैं।

मेरे पिताजी के अनुसार, मेरा दादाजी कहीं से भी लोगों से उधरले लेता था और मेरे पिताजी को उधर चुकता करने के लिए उन लोगों के पास काम करना पड़ता था।

       मेरे पिताजी के जितने बहनें थे, या यूं कहूं जितने सिस्टर थे। उनमें से सबसे छोटी वाली का शादी नहीं हुआ था। और मेरा चाचा का भी। इसके अलावा सभी के शादी हो चुकी थीं, यहां तक कि उनके बच्चे भी थे। 

      और वे सभी लोग मेरे पिताजी के जो सिस्टर हैं उनकी बात कर रहा हूं। वे सभी अपने बच्चों और अपने पति के साथ मेरे ही घर में रहते थे जबकि उनको अपने ससुराल में रहना चहिए था।

      मेरे कहने है का मतलब है, जाहिर सी बात है कि जब घर में इतना सारे लोग हो और परिवार के लिए कमानें वाले केवल मेरे पिताजी और मेरी मां हो। तो मेरे पिताजी को गुस्सा तो आएगा ही। 

      मेरे दादाजी अपनी बेटियों को कुछ नहीं कहते थे जिसके कारण मेरे पिताजी का और मेरे दादाजी का आपस में नहीं बनता था। 

काल्पनिक तस्वीर


 बड़ा परिवार में मेरा बचपन 

       यहां तक कि, स्थिति इतना खराब था। कि मेरे पिताजी को पढ़ने के लिए खुद मेहनत करना पड़ता था। नहीं यह बात मानता हूं कि थोड़ा बहुत मदद तो मिलता था मेरे पिताजी को मेरे दादाजी के परिवार से, जब मेरे पिताजी का शादी नहीं हुआ था तब। 

       बाकी सारे लोग काम कर पैसे कमाते तो थे लेकिन कोई भी परिवार के खर्चे के लिए पैसे नहीं देता था। और यह मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मेरी मां मुझे मुझसे संबंधित एक घटना बताया करते थे जब मैं थोड़ा बड़ा हो गया था।

      मेरी मां मुझसे कहती थी कि 'जब तू मेरे गर्भ में था, तब भी मैं भारी काम करती थी। ताकि तेरे दादाजी का गुस्सा ना भड़के।'

        जब मैं 10,12 साल का हुआ। तब मैंने मेरी मां को लोगों से कहते हुए सुना, कि "जब रवि छोटा था, तब एक बार मैंने देखी कि रवि अपने बुआ के बच्चों के द्वारा फेके गए खाली मिठाई की कागज को चाट रहा है। खाने को समान होने के बावजूद भी कोई भी एक टुकड़ा भी रवि को नहीं दिया गया।"

        यह देखकर मेरी मां रो उठी थी। और जहीर से बात है कोई भी मां अपने बच्चों का ऐसी हालत देखकर जरूर रोएगी।

दूसरे शब्दों में कहूं तो, अपने ही परिवार में मेरे पिताजी और मेरी मां दोनों नौकर नौकरानी थे। 

        जहां तक मुझे पता है, मेरे परिवार में कोई भी इस घटना को उतना सीरियस नहीं लेता था। 

        लेकिन मेरे दादाजी और मेरी दीदी और मेरे पिताजी के बीच भले ही उनका रिश्ता ठीक नहीं था फिर भी मेरे दादाजी और दादीजी से मेरा लगा बहुत ज्यादा था।

Non realistic

             मेरे परिवार में और भी बहुत-सारे गड़बड था,  लेकिन मैं वह सब नहीं बताना चाहता। नहीं तो जो इंसान मेरी यह कहानी पढ़ रहा है या रही है। वह बहुत ज्यादा बोर हो जाएगा।

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