आत्मिक दुनिया
परिचय
अब तक मैंने बहुत जिंदगी जी ली। मुझे नहीं लगता था कि इस संसार का दुनिया भी इतना अजीब हो सकता है। यह मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि यहां पर सभी लोगों को पता है कि हम एक न एक दिन मरेंगे। लेकिन फिर भी इंसान ऐसे जीते हैं जैसे कि वे अमर हैं। कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि इंसान इतने बेवकूफ कैसे हो सकते हैं। क्योंकि मैं भी इन बेवकूफों हूं में सही एक हूं।
अगर हम आत्मिक दुनिया के बारे में बात करें, तो यह बिल्कुल सही है। मेरे कहने का मतलब है कि यह आत्मिक दुनिया सच में मौजूद है। खासकर यह उन लोगों से पूछे जो यह दावा करते हैं कि मैं मरने वाला था। या फिर आप उनसे पूछे जो सात आठ दिन के लिए कोमा में था। ऐसे इंसान ही आपको इसके बारे में अच्छा से समझा सकता है। वैसे तो पवित्र ग्रंथ में इसका उल्लेख मिलता है लेकिन जो नास्तिक टाइप के लोग हैं वह ऐसे लोगों से पूछ सकते हैं जिनके बारे में मैं अभी बताया।
वैसे मैं आपको बता दूं हम इस आर्टिकल में ऐसे ऐसे चीजों के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जिनका मेरा खुद पर्सनल का अनुभव है। अनुभव तो छोड़ो जिसका मुझे सबूत भी मिला है। अब मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे इस आर्टिकल के करण मुझसे सबूत मांगे, कहीं सबूत के चक्कर में लेने के देने ना पड़ जाए। क्योंकि आत्मिक दुनिया में या इसी दुनिया में भी दुष्ट आत्माओं से लड़ने में बहुत ही ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि दोस्त अपनों से लड़ने के लिए एक ही चीज की जरूरत है और वह है पवित्रता।
बहुत सारे लोगों को तो पवित्रता का परिभाषा ही नहीं पता है। वे लोग सोचते हैं कि गंगा में एक दो बार डुबकी लगाऊं तो मैं पवित्र हो जाऊंगा। मैं दूसरे धर्मों का सम्मान करता हूं जिसके कारण मैं उसके नियमों पर अंगुली नहीं उठाता। लेकिन जरा एक दो बार तो सोच भी सकते हैं कि क्या ऐसा वाकई में होता है? अगर हय इन सब चीजों के बारे में चर्चा करेंगे तो आपका मन भटक जाएगा, क्योंकि हमारा टांपिक है आत्मिक दुनिया।
अस्तित्व: मेरा अनुभव
मैंने जो अनुभव किया है अब तक, वह मैं आपको बताना चाहता हूं। यही कि आत्मिक दुनिया सच में मौजूद है या नहीं? क्या सच में इसका अस्तित्व है या नहीं? अब मैं आपको कुछ रहस्यमय चीजों के बारे में बताऊंगा। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपनी कहानी कहां से शुरू करूं, क्योंकि अगर हम अब इस बातों पर चर्चा करेंगे तो बहुत लंबा हो जाएगा। मैं आपको इसमें केवल अपना अनुभव को शेयर के बारे में बताऊंगा।
मैं संसारिक आदमी था, मुझे लगता था कि ये धन दौलत और शोहरत हासिल करने से हम सफल हो जाएंगे। लेकिन रिएलिटी इससे एकदम उल्टा है। उस मनुष्य को क्या लाभ जब वह सारे संसार को प्राप्त कर ले और अंत में (मरने के बाद) अपना प्राण को खो दे।
जरा कल्पना कीजिए, कि आप आज बहुत सारे बड़े कंपनी के मालिक बन गए हैं और बनने के कुछ देर बाद आपको पता चला कि आप मर चुकें हैं। बस आपको अपनों की रोना सुनाई दे रही है। और उस समय आप यह सोचते हो कि अब मेरा क्या होगा? तब आपको पता चलेगा कि जो धन दौलत और शोहरत आपने कमाया था वह आपकी आत्मा को नहीं बचा सकती है। तब आपको एहसास होगा कि काश जब मैं जिंदा था तब सच्चे परमेश्वर को जाना होता।
अब सच्चे परमेश्वर की बात कहां से आ गई? जरा सोचिए। आप यह सोचते हो कि आप जिस भगवान को पूजते हैं वही सच्चा है। लेकिन क्या कभी आपने इन बातों पर ध्यान दिया है?
- व्यभिचार
- चोरी
- धोका
- समानता न मानना
क्या है यह आत्मिक दुनिया
आत्मिक दुनिया मतलब आत्मा की दुनिया, जहां शरीर का कोई लेना देना नहीं है। इस दुनिया में कभी-कभी हम इंवॉल्व हो जाते हैं। इसको सीधे तरीके से समझने के लिए हम कह सकते हैं कि जिस तरह एक सिक्के की दो पहलू होती है, इस तरह ही संसारिक दुनिया और आत्मिक दुनिया है। मैंने इसके बारे में आप लोगों को ऊपर में समझाया है, वह तो बस आत्मिक दुनिया का 0.000001% ही था। मैं खुद अपनी दुनिया में इंवॉल्व हो चुका हूं, और इसीलिए मैं जिससे भी मिलता हूं। उनको लगता है कि मैं एक पागल सिरफिरा हूं, जो थोड़ा बहुत आत्मिकता को जानते हैं उन्हें यह बहुत अच्छा सा समझ में आ रहा है कि मैं क्या बोल रहा हूं।
जब मैं परमेश्वर को जाना, तो मेरी आंखें खुल गई। लेकिन फिर भी मेरे साथ कुछ ऐसा घटना हुआ। जो घटना मेरा और मेरे परमेश्वर के बीच का रिश्ता को तोड़ दिया। नहीं तो शायद हो सकता था कि मेरे माध्यम से कितने सारी लोगों की आत्माएं बचाए जा सकती थी। अगर आप भी एक आत्मिक व्यक्ति हो, तो इस आत्मिक दुनिया में आप बहुत खतरे में हैं। क्योंकि इस दुनिया में कुछ दिखता नहीं है, लेकिन होता बहुत कुछ है। ऐसा बात भी नहीं है कि कुछ नहीं दिखता है, बहुत कुछ दिखता है लेकिन आत्मिक आंखों से। अगर मैं यह कहूं कि एक नॉर्मल इंसान कोई यह सब नहीं दिखता है, तो बुरा नहीं होगा।
चलिए मैं आप लोगों को बताता हूं कि मैं क्या था।
- मैं परमेश्वर से मूसा के जैसा रूबरू हुआ था। मैं मानता हूं मैं परमेश्वर को नहीं यीशु मसीह को देखा था। लेकिन बात तो वही है, क्योंकि उस परम प्रधान परमेश्वर का तेज को शायद मैं भी नहीं देख सकता। जब मैं परमेश्वर को देख रहा था, तब मेरी आंखें उनके घुटने तक ही उठ पाया। मैंने उस ऑफर देखने की कोशिश किया लेकिन मेरा हिम्मत नहीं हुआ। मैं यह बात मानता हूं कि मैं परमेश्वर को फेस टू फेस नहीं देखा। भले उसने मुझे साक्षात दर्शन दिया, लेकिन उसे समय मेरी आंखों से आंसू निकल रहा था। मेरा हिम्मत नहीं हो रहा था कि मैं उस परम प्रथम परमेश्वर के बेटे यीशु मसीह के चेहरे को देखूं।
- मुझे उस समय एहसास हो गया और उन लोगों से नफरत करने लगा था। जो लोग चर्च तो चलाते हैं, लेकिन खुद परमेश्वर की मर्जी के अनुसार नहीं चाहते। और वचन को तोड़ मरोड़ करके अपने मर्जी के अनुसार, घुमा फिरा कर लोगों को सुनाते थे।
- मुझे बहुत ज्यादा गर्व होता था, इसलिए नहीं की परमेश्वर ने मुझे दुष्ट आत्माओं के ऊपर अधिकार दिया। बल्कि इसलिए अगर होता था कि मैं परमेश्वर को जान चुका था।
- उस समय मेरा आवाज में एक तेज था। अगर कोई ऐसा व्यक्ति समय मिलता था जिसमें जादू टोना किया गया हो। तो वह व्यक्ति केवल मेरे साथ बात करने मात्र से थोड़ा ठीक फील करता था। क्योंकि मैं यीशु मसीह में था और वह मुझ में था।
- अब शैतान को इससे परेशानी नहीं हो रहा था, कि मुझे दुष्ट आत्माओं के ऊपर अधिकार दिया गया। अगर मैं भी भारत के प्रोफेट बजिंदर के जैसा केवल चमत्कार करता। और केवल चमत्कार ही करते रहता दूसरा कुछ नहीं करता तो अब भी शायद मैं ठीक-ठाक ही रहता। लेकिन जैसा आप वैसे बेटा, मेरा यीशु मसीह प्रचार करता था, उसके प्यारे चेले भी प्रचार करते थे। और पवित्र आत्मा मुझे लोगों की चैन चंगाई के लिए प्रेरित नहीं करती थी, वह मुझे प्रेरित करती थी सच्चा सुसमाचार फैलाने के लिए। क्योंकि केवल सच्चा सुसमाचार के द्वारा ही लोगों को उधर का मार्ग मिलेगा। और उधर का मार्ग क्या है, यह बात उसको पता है जिसका उद्धार हो चुका है।
- मैं बस एक चीज चाहता था, कि सभी धर्म के लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में बताना। यह कि परमेश्वर का राज्य मनुष्य के बीच आ चुका है।
- मैं दोबारा बोलता हूं, मैं परम प्रधान परमेश्वर के साक्षी मानकर के अपनी बातों को आपके सामने रखता हूं। सच में दुष्ट आत्माएं होती हैं, और त्रिएक परमेश्वर (पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा) के अलावा कोई परमेश्वर नहीं है।
- जैसे कि मैं बोल रहा था, मुझे पुत्र परमेश्वर का दर्शन मिला है। इसके बारे में मैं ऊपर में बोल चुका हूं।
- पवित्र आत्मा परमेश्वर, उनके साथ रहता है जो लोग यीशु मसीह को अपना आधार पर उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं।
- मैं जागरूक नहीं था, मैं पवित्र बाइबल पढ़ना धीरे-धीरे छोड़ने लगा था।
- मुझ में मूवीस देखना, वेब सीरीज देखना, सांसारिक गाने सुना और सांसारिक लोगों से संगति है रखना मैं जारी रखना।
- मैं सांसारिक लोगों के साथ संगति रखता था यह मेरा गलती नहीं था। मैंने उनको भी कुछ नहीं बोला जो एक प्रचारक होकर के गलती कर रहा था।
- शैतान को मुझ में बसने के लिए बस एक वजह चाहिए था। चाहे वह वजह कुछ भी हो।
- मुझे पता है किसी दिन शैतान मुझे पागल कर देगा। और तब मैं इन बातों को आपके सामने नहीं रख पाऊंगा। इसलिए वक्त रहते मैं आपको बता रहा हूं।
- मैं शैतान से लड़ने के लिए तो निकला था, लेकिन मैं हथियार( पवित्र बाइबल) घर में छोड़ गया था। घर में छोड़ने से मेरा मतलब है, वह मेरे अंदर नहीं था। क्योंकि बाइबल तो मैं हर वक्त मेरे साथ ही रखता था। लेकिन फिर भी मैं खुद वचन के अनुसार नहीं चला।
- क्योंकि शैतान से लड़ने के समय, सारी चीजों का जवाब शैतान के पास होता है। लेकिन पवित्रता का कोई जवाब नहीं होता।
- इसलिए आप पवित्र बनाए, जैसे आपका पिता पवित्र है। मैं परमेश्वर के पिता इसलिए नहीं कहा, क्योंकि मैंने वह हक खो दिया है। अब तो मुझे नर्क का सजा भी मेरे लिए कम लग रहा है।😞
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