यह बहुत ही एक मुश्किल सवाल है यार, मेरा जिंदगी बहुत ही बेकार जा रहा है फिलहाल तो। ऐसा लग रहा है जैसे मुझ में कोई भी लक्ष्य नहीं है। दूसरे शब्दों में कहूं तो मेरा उद्धार होने के पहले मैं जैसे जीता था। अब मैं उससे भी बेकार जिंदगी जी रहा हूं। बहुत ही गंभीर समस्या है यार यह। जब हमारी जिंदगी उथल-पुथल हो जाती है तो हम किसी को खोजने लगते हैं, ताकि हम अपने दिल की बात उससे कह सके। मैं भी वैसे ही हूं, कहीं पर भी थोड़ी सी मुझे खुशी या अपनापन लगे मैं तुरंत उसमें बह जाता हूं। लेकिन जो भी हो मुझे किसी भी लड़की के चक्कर में नहीं पड़ना, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
मुझे बुरा कब लगता है पता है, जब हम किसी इंसान को अपना समझते हैं और वह पराया निकल जाता है। उदाहरण के लिए मेरे मां बाप। कहीं आप यह तो नहीं सुनना चाहते थे कि मैं किसी लड़की का नाम लूंगा।☺️
यार मैं क्या कहूं। मुझे तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था।😅
मेरा उद्धार होने के बाद, मेरा जिंदगी एकदम मस्त था। मैं अभी भी अपने परमेश्वर की ओर वापस मुड़ सकता हूं। लेकिन पता नहीं मैं कैसे या नहीं कर पा रहा हूं। ना मुझे बाइबल पढ़ने का मन करता है और ना ही प्रार्थना।
मुझसे बेहतर तो कुत्ता है यार। 🥹
जैसे भी हो कुत्ता कभी भी अपने मालिक को धोखा नहीं देता है। जब तक उसकी मानसिक स्थिति खराब ना हो जाए, जब कोई कुत्ता पागल हो जाता है। तो भी वह अपने मालिक को पहचानता है, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है।
मुझे जो सपना आता है, उन सपनों को मैं अच्छा से समझता हूं। लेकिन क्या फायदा, जब मैं उसके अनुसार कुछ भी ना कर पाऊं।
मैंने सपनों में देखा था कि परमप्रधान परमेश्वर अब भी मेरी राह देख रहा है। लेकिन पहली बार मुझे ऐसा लग रहा है कि आप मुझे कुछ नहीं होगा।
मैंने लोगों को परमेश्वर के बातें सीखाना बंद कर दिए हैं। क्योंकि अब मुझ में वह काम करने का मन नहीं करता है, जिससे परम प्रधान खुश होता है। सीधी सी बातें हैं, किसी को तो मेरे कामों से बहुत ज्यादा तकलीफ हो रहा था। और वह नहीं चाहता है कि मैं वापस खड़ा हो जाऊं।
जब मुझे यह बात पता है फिर भी मुझ में वह ताकत नहीं है, वही ताकत जिससे मैं वापस खड़ा हो पाऊं। और मेरा ताकत तो यीशु मसीह ही था। लेकिन वही ताकत अब मुझ में नहीं।
मैं शैतान के प्लानिंग में धीरे-धीरे फसता गया, तब तो मुझे एकदम नॉर्मल लगता था। लेकिन अब मैं इस कदर फस चुका हूं की पता नहीं मैं वापस निकल भी पाऊंगा या नहीं।
मैं कैसा आदमी था अगर आप यह जानना चाहते हो, तो मेरे जैसा एक आदमी है। मेरे से वह हजारों गुना बेहतर है। लेकिन अगर मैं आपको यह समझाना चाहूं कि मेरे अंदर में किस चीज का तड़प था? मेरे अंदर में क्या करने की चाहत था? और मैं सब कुछ छोड़-छाड़ कर, बिना सैलरी के, सब कुछ अपने दम पर करके और लोगों से मिला करता था? Pastor Daniel Raj. इनकी टीचिंग में और मेरी टीचिंग में बस 19,20 का फर्क होता था। मैं जानता हूं उनकी टीचिंग में और मेरी टीचिंग में जमीन आसमान का फर्क है। यह मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मुझे पता है अगर मेरी टीचिंग इतनी ही बेहतर होती तो मैं शैतान की चंगूल में यूं ही नहीं फंसा रहा था। लेकिन जो बेसिक होती है, वह हम दोनों का लगभग सेम था।
अब मुझे लगता है, सच में शैतान नहीं चाहता है कि कोई भी परमेश्वर के वचन को सही तरीके से समझे और लोगों को भी समझाएं।
Pastor Daniel Raj अभी के समय में सबसे बेहतर है। यह बात मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि जब मुझे परमेश्वर की आवाज सुनाई देती थी। तब परमेश्वर मुझे जो चीज करने के लिए प्रोत्साहित करती थी वह सारा चीज Pastor Daniel Raj कर रहा है।
अब मेरे अंदर में एक उम्मीद की किरण जगी है, लेकिन मैं क्या करूं शैतान मुझे हराने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है। मुझे पता है मैंने जो प्लानिंग किया है, मेरी प्लानिंग को भी शैतान बिगड़ने की कोशिश करेगा। बार-बार मैं एक बात बोल रहा हूं। मुझे इतना ज्यादा गिराने की कोशिश किया जा रहा है, इसका एकदम से साफ मतलब निकलता है। वह यही है कि जरूर मुझे बहुत महत्वपूर्ण काम सौंपा गया है। और कोई चाहता है कि मैं वह काम ना कर पाऊं।
लेकिन समय आने देते हैं, जरा मैं भी तो देखूं कौन किस पर भारी है। वह मुझ में भारी पड़ता है जो मुझे बार-बार गिरता है, या फिर मैं उसमें भारी पडूंगा। यह तो वक्त ही बताएगा। पता नहीं मुझे क्या पसंद है क्या नहीं। लेकिन मैं मरने से पहले पूरी दुनिया को अपने बारे में बताना चाहता हूं।
शायद मैं पूरी दुनिया को इसलिए बताना चाहता हूं क्योंकि मैंने सारी जिंदगी तनहाई में गुजारी है। दोस्त लोग मेरा मजाक उड़ाते थे और लड़कियों से तो दूर-दूर तक मेरा नाता नहीं था। और मेरे मां-बाप उन्होंने मुझे कभी समझ ही नहीं। तो बताओ ऐसे में एक लड़का, एक छोटा सा लड़का आखिर क्या कर सकता है।
मुझे लग रहा था कि यह जिंदगी का ठोकरे मुझे मजबूत करेगी। लेकिन मैं बहुत ही ज्यादा कमजोर हो गया हूं। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि अगर मैं मर जाऊं तो अच्छा है। बहुत अजीब बात है यार यह सब, अगर किसी इंसान को जीने की चाहत ना हो। तो साफ-साफ पता चलता है कि उनकी जिंदगी में बीती है।
अगर मेरी उम्र 55,56 साल की होती, तो हम मान सकते हैं कि शायद। लेकिन 20,21 साल का लड़का अगर ऐसी बहकी बहकी बात करें। तो समझ जाना की उनकी जिंदगी कैसे रही होगी।
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